#इनबॉक्स_लव
उस पुरे कतार में एक पुराना संवाद तुम्हारा अभी तक बचा हुआ है;
सब मिटा देता हूँ किस्तों और बजारों के खबर;
नहीं मिटा पाता वो आखिरी संवाद;
शायद तेरा किस्सा नजाने फिर कब आये ।।
#इनबॉक्स_लव
दिन प्रतिदिन घटता गया स्माइली के बदले स्माइली में उत्तर ।
अब 4-5 के हँसते गुच्छे के नीचे कभी कभार एक छोटा मुँह बिदकाए सपाट स्माइली;
बड़ा मायूसी सा वो अकेला स्माइली ठीक मेरे जैसे ।
#इनबॉक्स_लव
बार बार उसी दो शब्दों को कई बार सोने से पहले..
और हर सुबह जैसे वो नया संदेश हो कोई..
अब तक है इनबॉक्स में वैसे ही !
#इनबॉक्स_लव
कुछ संवादों को ड्राफ्ट कर दिया है,
अब तक वो भेजे नहीं गये;
शायद अब वहीँ पड़े रहेंगे हमेशा के लिये !
#इनबॉक्स_लव
कोई कविता नहीं लिखा आज;
तुम्हारे नाम के ऊपर नीचे;
कुछ सितारों और बिंदुओं से सजाया;
रोज नयी कलाकृति नामों के इर्दगिर्द !
#इनबॉक्स_लव
एक आध अक्षरों में जवाब;
शायद ये नाराजगी बयाँ करता था !
#इनबॉक्स_लव
बीच रातों में कभी नींद खुलने पर,
फिर इनबॉक्स टटोलना …
कुछ बातें शायद फिर आयी हो !
#इनबॉक्स_लव
हमेशा की आदत एक लंबा इंतेजार,
आयेगा कुछ खबर जरुर,
घंटो टकटकी .. नाउम्मीदी से नजरे फेरना !
इनबॉक्स_लव By #SK
(स्मार्टफोन और मैसेजों के दुनिया के बीच की कुछ भावपूर्ण बातें शायद आपसे और मुझसे जुड़ीं; कुछ परिकल्पना कुछ अनुभव)
4 Comments on “Love in Inbox – #इनबॉक्स_लव”
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