संवेदना ….
बारिश .. छोटा शहर तो तंग हो जाता रोज रोज के इन छीटों से ; हर सड़क हर गलियाँ सनी हुई सी, ऊँघती हुई पुरानी बिल्डिंगें टूटे टूटे दरारों में …
संवेदना …. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
बारिश .. छोटा शहर तो तंग हो जाता रोज रोज के इन छीटों से ; हर सड़क हर गलियाँ सनी हुई सी, ऊँघती हुई पुरानी बिल्डिंगें टूटे टूटे दरारों में …
संवेदना …. Read Moreइक ऐसी ही शाम रोजमर्रा की .. नियत समय से मेट्रो में अपने गंतव्य की ओर जाने को आतुर और दुनिया भर की बातों की धुनी जमाए अपने कार्यस्थल के …
एन इवनिंग इन मेट्रो – मेट्रोनामा !! Read Moreऐसे ख्वाब का क्या भरोसा, नींद में क्या आते जाते टूटते रहते ! ऐसी ही एक नींद भरी रात थी, आज किन यादों को नींद को लेके नींद आयी थी …
एक छोटी सी ख्वाबों की कहानी – Story By SK Read More