अधर

एक अधर है
जिसके पार भी
जाया जा सकता
या धीरे धीरे दूर भी ।

कोई जा चुका है
या थोड़ा सा रह गया है
अब भी मुझमें ।

एक उम्मीद है
अब भी बची हुई
या कुछ कोशिशें है
कुछ बचा लिया जाय ।

एक अजनबी ही है
अब भी कोई
या जानता हूं उसे
थोड़ा सा अब ।

एक मन में
बसा हुआ स्नेह है
या भ्रम है कि
सब कुछ छोड़
दिया जाए ।

एक अधर है
कैसे पार किया जाय ।।

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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