#इनबॉक्स_लव
ऐसे मैं कहीं नहीं हूँ कोई अपरिभाषित बंधन है,
जो मेरे क्षणिक मौजूदगी को बयाँ करता, पर अब दृढ़ हूँ ..
हठ भी अलग राहों पर जाने का !
#इनबॉक्स_लव
किसी पुराने ख़त को बार बार,
अलग अलग वक़्त के लम्हों में,
अलग अलग मायने में पढ़ता,
पुराने ख़त मैं हरबार नयी ही बात होती !
#इनबॉक्स_लव
आज की अधूरी बातें,फिर कल उसी जस्बात से,
वहीँ से उस आधे-अधूरे संवाद के आधे अक्षर में,
पूर्णविराम के ठीक पहले से फिर तुम कहने लगे !
#इनबॉक्स_लव
काफी सोचता हूँ ;
तुम्हारे किसी संवाद के प्रतिउत्तर में क्या लिखा जाए ;
कुछ लिखता हूँ .. कुछ रह ही जाता .. कुछ लिख नहीं पाता !
#इनबॉक्स_लव
चिढ़ है ..हँसी वाले स्माइली से,
ये अक्सर पूर्णविराम बन जाता है,
कुछ होती बनती बातों के बीच,
हँसी वाली स्माइली के बाद बस ख़ामोशी पसरी होती !
#इनबॉक्स_लव
आँखें झुकायी स्माइली में ;
एक स्नेह होता ;
एक निश्चल अभिव्यक्ति ;
कुछ देर संवाद रुक सी जाती .. झुकी आँखों के नीचे !
इनबॉक्स_लव By #SK
Read – Love in Inbox Part – 1
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