आभासी दुनिया जहाँ निरंतर संवाद
दूरियों को खत्म कर इनबॉक्स का ऐसा संसार बनाता
जहाँ बस शब्दों का शब्दों से प्रेम होता |
और कभी कभी उस संवाद विहीन इनबॉक्स को देख
संवाद की जिजीविषा उत्कट हो जाती |
वो बीता वक़्त जिसमें इंतजार था, उम्मीद थी,
गुफ्तगू की लम्बी रातें और बोझिल आँखें थी
कभी खत्म न होने वाली लम्बी बातें थी |
वक़्त ऐसे बढ़ चला, कुछ रुक सा गया सिलिसिला ;
अब वो इंतजार भी धुंधला सा हो चला ;
कभी उस सुने से इनबॉक्स में फिर कभी संवाद हो |
इनबॉक्स लव …. शायद दिल के किसी कोने में खुद से बातें करता है ;
हो सके तो लौटना इनबॉक्स में !! (:
#SK in Inbox Love …