Lighthouse

जब रात के घने अंधेरे में समुद्री जहाजों को कोई राह प्रतीत नहीं होता वो प्रकाशस्तम्भ की ओर रुख करते हुए आगे बढ़ते । बिना किसी संवाद के बस प्रकाशस्तम्भ की रोशनी को उम्मीद मान जहाज तट तक पहुँच जाते ….. कुछ ऐसे ही तो होता है जीवन में ….किसी से मौन संवादों में उम्मीद की रोशनी को पाना प्रकाशस्तम्भ की तरह ।।।

– SK – Insane Poet

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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