जब रात के घने अंधेरे में समुद्री जहाजों को कोई राह प्रतीत नहीं होता वो प्रकाशस्तम्भ की ओर रुख करते हुए आगे बढ़ते । बिना किसी संवाद के बस प्रकाशस्तम्भ की रोशनी को उम्मीद मान जहाज तट तक पहुँच जाते ….. कुछ ऐसे ही तो होता है जीवन में ….किसी से मौन संवादों में उम्मीद की रोशनी को पाना प्रकाशस्तम्भ की तरह ।।।
– SK – Insane Poet