ईश्वर रचता है प्रकृति
बीजों से फूटते कोपल
उससे निकलती पंखुड़ियां
आसमानों में फिरते हुए
बादल और उससे गिरती
हुई बूंदें ।
ईश्वर बनाता है संसार में
संघर्ष सपनों संयोग से
लेकर जीवन और मृत्य तक
के नियम ।
जब जब कोई शब्दों को
बुन लेता होगा और लिख
देता होगा किसी को अनायास
सा कविताओं में ।
कभी कभी सोचता हूं
कैसे लिख सकता कोई
अनेकों बार अनेकों शब्दों
में किसी की असंख्य व्याख्या
ये मेरे अंदर कोई है जो
सृजन करता है हर क्षण
ईश्वर की तरह ।
ईश्वरीय वरदान के तरह है
किसी का स्मृतियों, संवादों,
संवेदनाओं के साथ कविता
में ढल जाना ।