इच्छाशक्ति से ऊपर अब कोई क्या प्रयास किया जा सकता था;
बार बार रेतों को ले जातें ज्वार भाटें, सागर के तटों को कभी मिटा पाए क्या ? फिर अगली लहरों में कुछ रेतें लौट आती है,मन को कहता हूँ कुछ यादों को रेतों के तरह बह जाने दो; लहरों को नहीं रोका जा सकता,ये शास्वत है .. यथावत है पुनरावृति होगी .. बस किसे बदला जा सकता; खुद को और दृढ़ होकर; चट्टान से अडिग होके रुको लहरों को जातें देखो .. नजरें मिलाकर जब तक वो तट से सुदूर ओझल ना हो जाये !
अनगिनत ही तो तूफान आये होंगे हरदम खुद के आत्मविश्वास से डिगते, जूझते निकलते रह गये;क्योँ इस तूफानी लहरों से मोह सा बंध गया है की ये ले जाये साथ, बहा ले जाये अपने साथ ! शिला सा अनवरत रहता हुआ अनेकों थपेरों को झेला इस बार क्योँ प्रेम या बंधन जो जीवन की नियती से परे की ख्वाहिश कर रहा ! तूफान .. लहरें .. रेत .. चट्टान .. जीवन सब नियती का हिस्सा है ! चलों इच्छाशक्ति मजबूत कर लें आज अमावस है तेज ज्वरें उठेगीं,कश्तियों वालें लौट जाओ .. मत जाओ .. मत जाओ .. आओ तट पर लडें इन लहरों से .. प्यार नहीं है इसकी सुंदरता से मुझे ; आओ लौट आओ .. तूफान उठने लगता है .. क्रमशः …
Rise And Fall Of Sea,
you have no power to break my souls,
I experienced changing patterns of the tides
with every up & down of waves,
I woke up strongly .. Every time!!
Seashore in Night & Pen : SK