पूरा चाँद फलक पर है
बीते सावन को
अब अलविदा कहना है ।
आज पूरा चाँद जैसे अलविदा कह रहा हो किसी को, भींगे मन में…
जैसे कुछ बिछड़ रहा हो कोई गीत जैसे बज कर अब सन्नाटे में खो गया हो ।
एक गीत जिसे फिर सुनना है उसी फुहारों के बीच, बारिश की शाम, भीगें मन से, इश्क़ की छुअन से ।
सावन फिर आएगा ….
जब घूंगरूओं सी बजती हैं बूंदे
अरमा हमारे पलकें ना मूंदे
कैसे देखे सपने नयन, सुलग सुलग जाये मन
भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन
रिमझिम गिरे सावन… ।।।
#SK