इस तरह जिन्दगी से कुछ पल उधार लेता हूँ !
रात के सुकूं के दो पल इस तरह संवार देता हूँ , सारे थके थके रिश्तों को उतार देता हूँ, भूल जाता हूँ कुछ पल के लिए गम सारे, इस …
इस तरह जिन्दगी से कुछ पल उधार लेता हूँ ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
रात के सुकूं के दो पल इस तरह संवार देता हूँ , सारे थके थके रिश्तों को उतार देता हूँ, भूल जाता हूँ कुछ पल के लिए गम सारे, इस …
इस तरह जिन्दगी से कुछ पल उधार लेता हूँ ! Read Moreआज वंडरलैंड से बातें नहीं; आज कुछ अतीत के पन्नों में चलते है ! एक दशक पूर्व .. नब्बे का दशक ; कोई टाइम मशीन नहीं शब्दों के माध्यम से …
लालटेन युग – अंधकार से प्रकाश का एक सफर ! Read Moreआज फिर सदियों के बाद वही पुरानी आहट सी थी, जो भुला नहीं हूँ अब भी जेहन में बची एक हसरत सी थी । कुछ दो शब्दों पर तर हो …
आज फिर सदियों के बाद वही पुरानी आहट सी थी ! Read Moreपूरी तरह याद है करीब डेढ़ दशक पहले का वो दिन जब स्कूल में कंप्यूटर की पहली कलास; ऊपर जाके ठीक लाइब्रेरी के बगल में शांत एकांत सा कमरा जिसपर …
विन्डो से मैक तक का सफर वंडरलैंड से !! Read Moreतुम थे तो कुछ लिख लेता था, तुम फिर आते तो एक नज्म होती ! इस शहर से उस शहर जाने में, तुम भूल आये वो पौधा .. हर सुबह …
सूखे रिश्ते … Like A Dying Leaves Read More