मैं ये सोच कर ये उसके दर से उठा था .. (भूले बिसरे गीत)

“हकीकत” फिल्म से भूले बिसरे गीत में रफ़ी साहब .. मैं ये सोच कर ये उसके दर से उठा था ; की वो रोक लेगी मना लेगी मुझको ; हवाओं …

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late alone street

फिर देर से ..Late again when I get home !!

फिर देर से .. दिन ही नहीं रात गुमशुदा सा लगता है ; ये जिंदगी की कैसी किश्तें अदा कर रहे ; वो जो मायूस सा सहयात्री है अजनबी ही …

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memories of year

इस बरस की क्या क्या सौगात है … Memories never die !

दुआ लब्जों में समेटे, दिल में कई जस्बात है ! ना रूबरू हो सके कभी, इस सफर में ना कोई पास है ! कुछ शर्त ना थी साथ आने की, …

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