रात के सुकूं के दो पल इस तरह संवार देता हूँ ,
सारे थके थके रिश्तों को उतार देता हूँ,
भूल जाता हूँ कुछ पल के लिए गम सारे,
इस तरह जिन्दगी से कुछ पल उधार लेता हूँ !
ना ही दम्भ भरता किसी कीमत का,
ना ही गम करता रूठी किस्मत का,
मुस्करा कर हर शिकन उजाड़ लेता हूँ,
इस तरह जिन्दगी से कुछ पल उधार लेता हूँ !
किसी बात पर नजाने कौन रूठ जाता,
किसी बात पर मेरा हर वहम टूट जाता,
दो कदम चलता और पीछे कोई छूट जाता,
कभी चुप हो कभी तुझको ही पुकार लेता हूँ,
इस तरह जिन्दगी से कुछ पल उधार लेता हूँ !
– #SK … Poetry Contd ..
ना ही दम्भ भरता किसी कीमत का,
ना ही गम करता रूठी किस्मत का,
मुस्करा कर हर शिकन उजाड़ लेता हूँ,
इस तरह जिन्दगी से कुछ पल उधार लेता हूँ !
बहुत ही सुन्दर भावोक्ति