कभी कभी खामोशी में भरते हुए
यादों के चेहरे बुनते जाना,
कभी कभी लंबी सी भागदौड़
के बाद चुपचाप बिना बोले
सन्नाटे में खोजना खुद को
देर तक कहीं बैठे रहना
या ऊंघना कुछ कुछ देर पर
आधे अधूरे नींद को आंखों में लिए
कुछ देर के लिए भूल जाना दुनिया को
ना संवादों की इच्छा करना
ना किसी से मन हो बातें सुनने का
लम्बे सफर पर थोड़ा विराम सा
वहम है या जरूरत मन की
कुछ यादों से खुद को निकाल पाना ।।
#InsanePoet