ठंड से ठिठुरता चाँद …
शीत में भींगता गुनगुनाता चाँद,
न कोई अलाव है न कोई तपिश ।
न कोई गुफ्तगू न कोई खबर पूछता,
किससे रात भर बातें करता होगा चाँद ?
चुपचाप देखता बिना पलके झपकाए
पहर हर पहर भारी सा लगता होगा,
कैसे रात बिताता होगा चाँद !
The Life Writer & Insane Poet
ठंड से ठिठुरता चाँद …
शीत में भींगता गुनगुनाता चाँद,
न कोई अलाव है न कोई तपिश ।
न कोई गुफ्तगू न कोई खबर पूछता,
किससे रात भर बातें करता होगा चाँद ?
चुपचाप देखता बिना पलके झपकाए
पहर हर पहर भारी सा लगता होगा,
कैसे रात बिताता होगा चाँद !