सर्द हवाओं ने ये महसूस कराया;
फ़िक्र लौट आयी थी उनकी आज !
फिर कुछ सरसरी हवा छु गयी होगी,
फिर अब बचपन लौट गयी होगी !
ना मानी होगी बात फिर किसीकी,
हो आये होंगे गलियों में यूँ ही !
कुछ शरारतें कुछ बेबाक सा मन,
भागती फिरती चहकती शीत की आँगन !
आ रही थी यादें कितनी,
इस धुंध से लिपटी हुई !
सर्द हवाओं ने ये महसूस कराया…..
सुजीत
Photo: http://louiezong.deviantart.com/art/winter-love-331796091