कुछ खोने का अहसास !

मैं अब कैसे शिकायत भी करू तुमसे,SK-poem-art
तुम खफा हो के कुछ और दूर चले जाओगे !

ये फासले या वक्त की क्या साजिशे थी,
कुछ खोने का अहसास अब पनपने लगा था !

बहुत सब्र से देखते तेरी खामोशी,
कोई शिकायत नहीं जहन में !

एक दिन बेसब्री टूटेगी मेरी,
फिर शायद सदियों तक बुत बन जाये हम !

शायद एक दफा तुम समझा देते इसे,
मेरे कदम मुझे दूर जाने ही नहीं देते !

इतने पुकारों पर जो ना बोला कुछ,
जिद तोड़ समझ क्योँ नहीं लेता मेरा मन !

कभी महसूस कर लेना मेरी आहट अपने आस पास,
कभी हम बिन आवाज किये दरवाजे से लौट जाते है !

#Sujit [In Poetry]

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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