![Rain & Poetry](http://www.sujitkumar.in/wp-content/uploads/2017/07/19955833_1755665841129711_420824199621744206_o-150x150.jpg)
चहलकदमी के निशान,
पत्तों पर फिसलती बूंदे,
उथले उथले गड्ढों में पानी,
सूखे पत्ते कीचड़ से सने हुए,
आसमान में मेघों का झुंड,
रुक रुक कर होती ये बरसात !
कागज की नाव, भींगने का मन,
सावन यूँ ही उतरा है आँगन में ।
#SK
The Life Writer & Insane Poet
कागज की नाव, भींगने का मन,
सावन यूँ ही उतरा है आँगन में ।