बारिश से भींगे ये रास्ते,
चहलकदमी के निशान,
पत्तों पर फिसलती बूंदे,
उथले उथले गड्ढों में पानी,
सूखे पत्ते कीचड़ से सने हुए,
आसमान में मेघों का झुंड,
रुक रुक कर होती ये बरसात !
चहलकदमी के निशान,
पत्तों पर फिसलती बूंदे,
उथले उथले गड्ढों में पानी,
सूखे पत्ते कीचड़ से सने हुए,
आसमान में मेघों का झुंड,
रुक रुक कर होती ये बरसात !
कागज की नाव, भींगने का मन,
सावन यूँ ही उतरा है आँगन में ।
#SK