बेअदब अदब रिश्ते …

respectful relationships poem

वो रिश्ते जो अबूझ थे अच्छे थे,
ठूठ पेड़ की तरह,
न कोई हलचल थी,
न कोई हवाएँ
और न ही बढ़ते वो किसी की तरफ,
बिना पहचान के खड़े रहते आमने सामने,
ख़ामोशी से एक अदब का रिश्ता निभाते !

ये हरियाली लताओं सा रिश्ता,
लिपटते मिलते,
फिर बढ़ जाते गले की ओर,
घुटन की फांस बनके,
फिर बड़े बेअदब से हो जाते ये रिश्ते !

#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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