Rain & Poetry

सावन यूँ ही उतरा है आँगन में

बारिश से भींगे ये रास्ते, चहलकदमी के निशान, पत्तों पर फिसलती बूंदे, उथले उथले गड्ढों में पानी, सूखे पत्ते कीचड़ से सने हुए, आसमान में मेघों का झुंड, रुक रुक …

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rain and memories

बारिश .. सूनी सूनी !

बारिश, रात और भींगे मुंडेरों से टपकती है बूंदें ही नहीं , अनेकों पुरानी यादें भी रिसती रहती है कोनों कोनों से ! वो पुरानी खिड़की जिसके फांकों से एक …

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