आजादी के 70 साल बाद भी चुनाव का मुद्दा प्रलोभन है, कोई कर्ज माफ कर देगा, कोई मुफ्त में घर बैठे आय देगा, कोई फ्री डीजल कोई फ्री बीज फ्री गैस फ्री खाना फ्री नाली फ्री सड़क फ्री फ्री फ्री के वादे फ्री में फ्री हो जाते, नेता चुनाव के बाद फ्री हो जाते, जनता फ्री के आस से कभी फ्री नहीं हो पाती ।
कोई पार्टी / नेता कभी सरकारी खजाने भरने का योजना नहीं बताती की हम ऐसी योजनाओं को कार्यान्वित करेंगे कि देश के कोष में इजाफा होगा जिससे जनता के लिए योजनाओं को धरातल पर लाया जाएगा ।किसी आर्थिक गणना को किये बिना चुनाव पर घोषणाओं की फेंका फेंकी में 70 साल गुजर गए, आज भी साफ पानी सड़क बिजली जैसे न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति सभी जगह पर्याप्त नहीं है ।
कोई दल बल बंधन गठबंधन नहीं है बस जाति धर्म क्षेत्र का सटीक डाटा कॉम्बिनेशन से टिकट बंट रहा जहां आपके सामने वो उम्मीदवार जिसे आप जानते तक नहीं जो जीवन मे कभी आपके गली में नहीं आया जो आपके क्षेत्र समाज को नहीं समझ सकता वो 5 साल आपके भविष्य का क्या निर्धारण करेगा ।
आपका वोट आपकी मज़बूरी नहीं है बल्कि आपकी शक्ति है कुछ चुनने की, कोई दो चार पार्टी देश का भविष्य नहीं हो सकती जिसमें कुछ लोग स्वार्थ के नाम में इधर से उधर हो जाते, विचार धारा के ऐसी फेंटा-फेंटी है की समाजवाद, सेकुलरवाद, असहिष्णुतावाद, कितने वाद किसके बाद आते है कुछ पता नहीं जो टिकट दे वही सबसे बाद !
लोकतंत्र के नाम पर ये नया वोटतंत्र विकसित किया गया है जिसमें चुनाव इस वोट के खेल का वर्ल्डकप है | आप अपने वोट को कमजोर मत बनाइये किसी दल जाति धर्म से ऊपर उठ वोट दीजिये, कोई उम्मीदवार आपके मानकों पर नहीं हो तो “NOTA” प्रयोग कीजिये, लोकतंत्र के रहनुमा को अहसास हो जनशक्ति का ।
#SK