ये कैसी लड़ाई है,
ऊँचें आवाज में चीख के,
लाल चेहरों से गर्म हाँफती साँसें,
थक के दूर जा बैठना,
चुप हो के घण्टों बिताना
रूठ कर प्लेट को वापस कर देना
पानी गटकना और नींद की आगोश में जाना
रोज ढलते जाना चेहरों का
आधे काले आधे सफेद सारे बाल ;
जैसे जल गए हो वो उखड़े बातों से,
ये कैसी लड़ाई है,
जहाँ बस जिस्मों की सजा है,
लड़ाई होती जो मन की
मन से मन की नाराजगी पूछ लेते ।
#SK