पुरे विश्व में अनिश्चितताओं का दौर है, इस वैश्विक महामारी ने पुरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया, लाखों लोग ग्रसित है और लगभग पूरा विश्व लॉकडाउन स्थिति में है कारोबार, आवागमन सब कुछ बंद पड़ा जैसे जिंदगी ही ठहर गयी हो ! आर्थिक, सामाजिक, मानसिक स्तर पर कितना आघात पहुँचाया है इस आपदा ने इसका अंदाजा लगाना सरल नहीं है ! कब कहाँ से किस हालत में आप इस महामारी के आगोश में आ जायेंगे पता नहीं …सोचिये होटल एयरलाइन्स सिनेमा हाल माल दूकान ऑफिस स्कूल कॉलेज मंदिर मस्जिद सब बंद पड़े जो इन सबसे जुड़ें लोग है उनकी मनोदशा कैसी होगी , भूख तो बंद नहीं होती ! कहीं राशन की मारामारी, कहीं भय का माहौल कहीं पलायन कहीं कालाबाजारी और इन सब में आपको राह दिखाती है देश की एकजुटता, स्वास्थ्य सेवा हो या सुरक्षा सभी आपको आश्वस्त करने के लिए दिन रात अनवरत उपलब्ध है। मान सकते तमाम अनियमिताएँ है संसाधनों की भी कमी है लेकिन हम एकजुट है यही भारत की पहंचान है।
नकारात्मक पहलू :
विविधताओं से भरे इस देश में वैश्विक समस्या में भी हमने विविधता को भर दिया। क्या हम अपना कर्तव्य निभा रहे सोचिये इस वैश्विक महामारी में सोशल डिस्टैन्सिंग की धज्जियाँ उड़ाई , विदेश यात्रा कर सुचना को छुपाया, अफवाह फैला कर मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर किया, इस मुश्किल वक़्त में कालाबाजारी और मुनाफाखोरी की, देश की व्यवस्था पर सवाल किया टेस्ट नहीं, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है , इस देश में ऐसा हमारे यहाँ नहीं , डॉक्टरों से बदसुलूकी , पुलिस पर पत्थरबाजी, थूकना यहाँ तक की अश्लीलता तक उतर गए। सोचिये हमने क्या किया इस आपदा से लड़ने के लिए ?
सकारात्मक सोच :
हमारे देश में इस विविधता में भी एकता है अनेकों लोगों ने दिल खोल के लोगों की मदद की, उद्योगपति, अभिनेता, खिलाड़ियों से लेके आम जनता तक ने आर्थिक सहयोग से लेके सरकार के निर्देशों के पालन करने में अपनी पूरी सहभागिता दिखाई। यहाँ तक की बच्चों ने भी आगे आके आपदा से लड़ने के निर्देशों का पालन करने की अपील की।
जब सब कुछ ठहरा हुआ हो मन आशंकित हो तब देश के नेतृत्व द्वारा व्यवस्था के रूप में स्वास्थ्य , आर्थिक सहायता, सुरक्षा उपाय, कालाबाजारी रोकने के उपाय हो रहे । ये वास्तिवकता है देश में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, टेस्ट भी पर्याप्त नहीं हो पा रहे, स्वास्थ्य उपकरणो के इंतेजाम किये जा रहे, लगभग हर मोर्चे पर देश को स्थिर, सुरक्षित और सुढ़ृड़ रखने की कोशिश हो रही हो और हम नकारत्मकता फैला रहे, १ अरब ३० करोड़ की जनसंख्या में आपको ये आपदा चुनौती नहीं लगती तो आप मानसिक बीमारी से ग्रसित है।
इस कठिन समय में अगर हम अपने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ढोल मंजीरे घंटी झाल थाली बजा कर परिवार बच्चों संग साथ होकर देश की एकता का परिचय देते तो इसमें क्या गलत है , कठिन हालात में इस विपदा से साथ लड़ने को हमारा देश एकजुट है ये सन्देश हमने विश्व को दिया। हमने सोशल डिस्टेनर्सिंग में रह कर भी एक स्वर में एकजुटता का संदेश दिया ।
अब 05 अप्रैल रविवार को रात 9 बजे हम विश्व में फैले इस अँधेरे को दूर करने एवं इस संकट में एकजुट होकर प्रतीकात्मक रूप से ईश्वर से प्रकाश की ओर अर्थात विपदा से मुक्त होने की प्रार्थना दीप जला के करेंगे। हमारी संस्कृति ही रही है दीप प्रज्वलित कर ईश्वर से कामना करने की … बृहदारण्यक उपनिषद में विद्यमान एक मन्त्र है :-
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ॥
अर्थ
मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।
मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो॥
हमारे देश के स्वास्थ्य कर्मी जो हमारी लड़ाई लड़ रहे, दिन रात अपने परिवार से दूर अपनी जान जोखिम में डाल कर वो योद्धा है इस कोरोना युद्ध के । कुविचारों , विवादों, दोषारोपण से ऊपर उठ के सोचिये क्या हम प्रार्थना के लिए एकसाथ नहीं आ सकते एक दीप देश के लिए क्यों नहीं ? एक दीप सभी स्वास्थ्य कर्मियों और सुरक्षा कर्मियों के उत्साह को बनाये रखने के लिए क्यों नहीं । उनको भी तो लगे इस लड़ाई में देश उनके साथ है ।
कवि हरिवंश राय बच्चन जी ने भी इस संदर्भ में अपनी बात कहीं है :-
” नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना
जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है ! ”
जब सम्पूर्ण विश्व आपदा से ग्रसित है हमारी सामूहिक प्रार्थना उम्मीद की किरण जरूर लेके आएगी !
#SK