विचारों का जहाँ ठहराव हो जाता ; वहीँ से एक उदगम भी तो है एक नए विचार का ही ! कोई खामोश रहता है, जिक्र नहीं करता, शायद समझा नहीं पाये या समझने वाला आस पास नहीं, खीज कर दो बातों में वो बयान नहीं कर सकता, उसने शब्दों के समंदर को छुपा रखा है अपने अंदर, कोई समंदर सा ही समझ सकता, पर समंदर कौन है यहाँ ? कहाँ है ? सबने तो घेर लिया है खुद को बंद तालाब सा !
अनेकों राहों में जो आसान था, या जो सहज था सबने चुन लिया ; अँधेरे को कोई क्यों टटोले, उस कीचड़ से भरे रास्तों में फंस फंस कर चलना क्यों पसंद करे ! पर उसने चुन लिया वहीँ से गुजरना, कोई कुछ भी कहे ! सबकी बात नहीं मानना ही तो आजादी है ! आजादी वक़्त से, आजादी एक सा नहीं होने से, आजादी भीड़ में नहीं जाने की ! अलग थलग होना ही उसके आजादी है ! इस आजादी का उसके पास ज्यादा प्रमाण नहीं है न ही कोई परिभाषा ही ; बस मायने है इस आजादी के तो उसका अपना सफर !
तुम समझ नहीं सकते उसे, तुम सब समझों ही नहीं, वो तुम्हारे सोच को नहीं बदल सकता, न ही वो अपने सोच को बदलेगा ! यहाँ एक विवाद है जिसे वो न छोड़ेगा न छेड़ेगा इसे चलने दो दूर तक, तुम अपने बनाये सही रस्ते पर चले जाओ , वो निकलेगा तुम्हारे कहे गलत रास्तों पर उसी को सही करने को ! वो विरोध भी करेगा तो बस अपने आप में खो के चुप हो के ; तुम्हें उसके बीते वक़्त से कोई वास्ता ही नहीं न ही तुम उसके भविष्य का निर्धारण करोगे तुम उसे वर्तमान में कोस सकते, उसके वर्तमान को गलत कह सकते, पर वो नहीं सुनेगा न समझेगा ! उसने चुना है अपनी हार अपनी जीत, अपनी हार में वो किसी को शामिल नहीं करेगा उसकी अकेली हार ही उसकी जीत है क्योंकि उसने कदम तो उठाया कुछ करने को !
हाँ तेजी से बीतता वक़्त उसके लिए अवसाद सा है, क्योंकि वो कदम नहीं मिला पा रहा, वक़्त कदम से तेज हो तब भी आपाधापी थी, और कदम पीछे तो विषाद पीछे छूटने की ! वक़्त के इस बेमेल तालमेल में कहीं जीवन का कुछ छुपा है जो जीवन उसके लिए ऊपर सितारों के बीच गढ़ी गयी होगी !! पर उड़ान कब तक कैद की जा सकती, इसको तो आगे जाना ही है !!
Sujit in Night & Pen
Very nice and touching words!! सबकी बात नहीं मानना ही तो आजादी है !!
Thanks 🙂
Pagal dunia was awesome sir
Thanks Friend 🙂