त्यौहार में अपनों का आना, फिर उनका वापस लौट जाना ; अधिकांश राज्यों के लोग महानगरों में कार्यरत है, कुछ शब्द जो इस त्यौहार में उनके आने और वापस जाने पर सबके मन में कभी न कभी आता !
अब बस दीवालों पर अकेली झालरें झूल रही है,
छोटे शहर से बड़े शहर लौट आये त्यौहार वाले !
ये दो चार दिनों का मेला भी खूब सजता है,
पुरे साल अकेला करने का हुनर है ये पाले !
घर की कुछ यादों को डब्बे में बंद करके,
सात समंदर तक ले जाते है प्यार करने वाले !
कुछ दिन और रहते कह चुप सी हो जाती माँ,
कोई तरकीब नहीं जान पड़ती रोकने वाले !
ख़ुशी और मायूसी के बीच में कुछ रह जाता,
फिर एक दिन लौटेंगे ऐसे जीवन है उम्मीदों वाले !
#Sujit Kr.