शायद मैं या मेरे समकक्ष उम्र के लोग उस पीढ़ी से आते है जिसने लालटेन के नीचे शाम को पैर हाथ धो के गोल घेरे में सामूहिक पढ़ाई की होगी । क्रमशः इसके बाद कि पीढ़ी बदल गयी सम्भवतः वो कभी लालटेन में नहीं पढ़ेंगे । जिन्दगी के अनेकों ऐसे आयमों को वो किस्से कहानियों या संस्मरणों से ही जान पायेंगे ।
गर्मी की छुटियाँ हो गयी है, बच्चों के बोर्ड रिजल्ट आ गए है दो अलग अलग चीजें अलग अलग अनुभव के साथ आती है । आज के अभिभावक शायद इन छुटियों में बच्चों से पहले खुद उबने लगे है, उन्हें कुछ पढ़ने, हॉबी क्लास, होमवर्क में उलझाये रख चाहते कि ये छुट्टियाँ जल्द खत्म हो और वो रोजमर्रा पर लौट जाए । क्या ये छुट्टियाँ एक अवसर नहीं है बच्चों को नई जिम्मेदारी सिखाने की, परिवार से करीब लाने की, रिश्तों की एक नई परिभाषा देने की । क्या बच्चे मेहमान के तरह नहीं बन गए है, एक उम्र के बाद बाहर पढ़ाई और नौकरी उसके बाद साल में एक बार मेहमान के तरह आना और जल्दी में वापस लौट जाना तब शायद वो वक़्त न मिले जिसमें रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाया जा सके । आप अभिभावक हो के बच्चों को उसका बचपन नहीं लौटा सकते लेकिन अभी उनके बचपन को यादों का वो खजाना दे सकते जिसे वो जिंदगी भर संजो के रखना चाहेंगे |
गर्मी की छुट्टियों में लौटिए अपने गाँव या किसी सुदूर शहरी कोलाहल से दूर जहाँ प्राकृतिक हो सब, क्या गाँव का वातावरण आपके बच्चे को लाइफ स्किल्स या हॉबी क्लास जैसे हुनर नहीं दे सकते ? ये खेत खलिहान बाग बगीचे आँगन घर हाट बाजार सब लाइफ स्किल्स सिखाने के साधन से भरे पड़े है, हाट की तोल मोल बच्चों को नेगोसिएशियन स्किल्स की आरंभिक जानकारी देंगे, खलिहान-गोदाम स्टोर और प्रोक्योरमेंट की जानकारी देंगे, खेत बताएंगे कि ग्रॉसरी स्टोर और पैकेज्ड फ़ूड का सामान कैसे किसान धरती चीड़ कर निकालते, आँगन ओखली जाता सिलबट्टे सब आधुनिक यंत्रों की आविष्कार की कहानी को बताएंगे, इस तरह की यात्रा खुद में एक इको टूरिज्म है कभी बच्चों को किचन तक भी ले जाइए की कल जब वो बाहर जाए वो इस हुनर को आजमा सके, कबड्डी दौड़ जैसे खेल भी मोबाइल गेम से इतर मजा दे सकते, अलग अलग जगहों पर जाना उन्हें देश की जैव विविधता के बारे में बताएगा, सिखाएगा अलग अलग सभ्यता समुदाय का सामंजस्य, अनेकों रचनात्मकता का केंद्र है प्रकृति, बच्चों को उसके समीप ले जाइए इन गर्मियों में ।
और आखिरी बात रिजल्ट से जुड़ी, बच्चों को चुनने दीजिये अपने मन की राह ये 70 -80-90 का रेस उन्हें वो नहीं बनने देगा जिसके लिए वो इस रंगमंच पर आए है ।
#Sujit ( Blogger & Poet )