जब भी बादल छाता है
मेरा बचपन लौट जाता है ;
वो कागज की नाव,
वो छोटी सी छतरी ,
भीगे से जुते,
बारिश में खेल,
वो गिरना फिसलना ,
गंदे से कपड़े ,
बिगड़ी सी सूरत,
माँ की फटकार,
फिर थोड़ा सा प्यार,
बस उम्र बढ़ी थोड़ी ,
ये बचपन और बादल ;
कुछ भी न बदला … #SK