कहते है बच्चा जब सोया रहता और हँसता तो वो भगवान से बात करता , भगवान बच्चे को हँसाते दुलारते ! बच्चा जब तक अबोध रहता वो इस दुनिया के अलावा किसी और दुनिया से संवाद में भी रहता है और धीरे धीरे उसका जब ये सम्पर्क खत्म होता वो इस दुनिया के जीवन चक्र में सम्मिलित हो जाता !
एक पिता के लिए ख़ुशी का क्षण होता जब छोटा बच्चा थोड़ा रो के जल्दी सो जाता, आप उसके रोने और चुप होने के अंतराल से ही बस पता कर सकते की उसे भूख लगी, उसे कुछ और समस्या तो नहीं उस अबोध के लिए रोना ही हथियार है , भूख लगे तो रोना, पेट दर्द हो तो रोना, बिछावन गिला हो तो रोना, रो के वो संवाद करता और हम उसके रोने से कुछ अंदाजा लगाते की हाँ ये कह रहा वो ! छोटे बच्चे को पालना कौतुहल, जिम्मेदारी और नए अनुभवों को लेके आता !
आप नए नए बेसुरे गीत गाते उसे सुलाने को, टूटे फूटे शब्दों की लोरी सुनाते उसे नींद में लाने को, अजीब अजीब जैसी आवाजें निकालते, तरह तरह का मुँह बनाते उसे बहलाने को ! वो अपने पांव से कम्बल को धकेल देता और रात में आप बार बार उठ के वापस उस कम्बल से उसे ढक देते !
हर जरुरी काम के ऊपर आप अपने बच्चे के साथ समय बिताने को तरजीह देने लगते ! यही जीवन का बदलाव है और जिंदगी की खूबसूरती !
From Dad’s Diary – #SK