Rafi – Tribute to Musical Legend

Rafi

RafiRafi’s (24 December 1924 – 31 July 1980) 

रफ़ी साहब ने हजारों गानों को अपनी आवाज दी – प्यार, मोहब्बत, दोस्ती, जिंदगी, मौत, गम, दिल, उदासी, बेबसी, धोखा, देशभक्ति अनेकों रंगों को आप अगर संगीत के माध्यम से महसूस करना चाहते तो रफ़ी साहब को सुनिए ! एक से एक दिल को छू लेने वाले गीत को अपने गले से लगाया इस सुर-सरताज ने ! आइये देखे रफ़ी साहब के कुछ गाने और इनको जिंदगी के से जोड़ते लम्हें !

 

पहली बार जो प्यार का अहसास इस तरह होता की “आने से उसके आये बहार; जाने से उसके जाये बहार” ;
तो उसकी सूरत को इस तरह बयाँ किया जाता ” चौदहवीं का चाँद हो या आफताब हो जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो ! ” ;
फिर खत लिखने का सिलसिला “लिखे जो खत तुझे जो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए” ;
तो उनके जाने पर रोकने की कोशिश ” अभी न जाओ छोड़कर, की दिल अभी भरा नहीं”
तो रुठने मनाने के सिलसिले ऐसे बनते “तुम्हारी नजर क्यों खफा हो गयी, खता बक्श तो अगर खता हो गयी” ; 
तो लोगों के नजर से बचते बचाते प्यार के चर्चे ” आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जबान पर ” ;
तो उनके आने पर फूलों का बरस जाना “बहारों फूल बरसाओं मेरा महबूब आया है” ;
तो विदाई पर बाबुल का प्यार “बाबुल की दुआयें लेती जा” ;
तो टूटे दिल से निकलता संगीत “क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा” ;
तो परदेशियों से नजदीकी की शिकायत ” परदेशियों से न अँखियाँ मिलाना, परदेशियों को तो एक दिन है जाना” ;
तो गम की पुकार “हम तुमसे जुदा होके मर जायंेगे रो रो के” ;
इस दुनिया से शिकवा “ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम के नहीं” ;
और न लौटने की कसम ” तेरी गलियों में न रखेंगे कदम” ;

तो जिंदादिल जिंदगी की बात ” मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएँ में उडाता चला गया” ;

और खुद को याद बनाकर हमेशा हमारे बीच गुनगुनाते रहने को मजबूर करते हुए ” तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे ; जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनाओगे ” !!

जी हाँ रफ़ी की आवाज जिंदगी की आवाज जिसके संग हम भी गुनगुनाते !! सुरों के सबसे बड़े फनकार मोहम्मद रफी को जन्मदिन मुबारक !!

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →