जीवन में किसी कार्य का पहला अनुभव एक अनोखा अहसास देता है, पहली बार विद्यालय जाना किसी बच्चे के लिए इनमें से एक है | उसके लिए ये एक मिश्रित पल है जब वो बालपन के उत्श्रृंखलता को विराम दे एक संयमित जीवन के पायदान पर पहला कदम रखता है, जहाँ नया माहौल नयी आदत बच्चों को थोड़ा असहज करता तो उत्सुकता और सृजनशीलता से भी भर देता है | जीवन के दो सोपान के बीच; जहाँ कभी आप खुद बच्चे थे और एक पिता के रूप में आप सभी अनुभवों को एक तुलनात्मक रूप मे महसूस कर पाते है | विद्यालयी शिक्षा का आरम्भ बच्चों को ज्ञानार्जन के साथ सामाजिक और सामुदायिक ताने बाने में भी ढालता है इसीलिए हर अभिभावक कि कोशिश होती कि वो बेहतर से बेहतर रुप मे इसे अपने बच्चों को दे | एक माता पिता के रुप मे आप ममत्व कि भावनाओं को संयमित करते कि बच्चों को नये परिवेश मे ढलने के लिए उनमें समस्याओं से जूझने की प्रवृति पनपे | वो बाहर निकले और जीवन के जरुरी आदतों को सीखे |
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Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज
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