आजकल परीक्षाकाल चल रहा हमारे राज्य में, कदाचार मुक्त परीक्षा हो पूरा प्रशासन लगा हुआ है । पुलिस, मजिस्ट्रेट, सीसीटीवी, वीडियोग्राफी, जाँच पड़ताल । ऑब्जेक्टिव सब्जेक्टिव OMR बिंदा गोला टिक टाक रोल कोड रोल नम्बर सब्जेक्ट कोड कुल मिला के विद्यार्थी पूरे दवाब में ।
परीक्षा को बस दवाब से कदाचार मुक्त कर शिक्षा में क्या सुधार लाये जा सकते, विद्यार्थी रोल नंबर को वर्ड्स में लिखने अक्षम हो रहे थे, डरे हुए कॉपी को भर रहे थे, पूरे दो साल जिस छात्र की सुध नहीं लेती सरकार आज बस कदाचार मुक्त परीक्षा पर वाहवाही लूटना छात्रों का तो भला नहीं करेगी ।
कुछ छात्रों के कॉपी को देखने पर शिक्षा के स्तर का क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता ;
कंप्यूटर साइंस विषय – ” डाटा – मोबाइल में गाना सिनेमा सब चिप में लोड करने में डाटा बहुत मदद करता ;
प्रोटोकोलो – बिना नेटवर्क के मोबाइल से कॉल ” |
इतिहास – ” वीर कुंवर सिंह पर निबंध में – वीर कुंवर सिंह सबका बाप था अंग्रेज़ों को दौड़ा के मारा ;
गांधीजी को चम्पारण की हरियाली पसंद थी |
कुछ ईश्वर भजन अल्लाह का नाम भी पूरी कॉपी में भरते |
सवाल परीक्षा तक सीमित क्यों २ साल तक बेहतर शिक्षा की कोई बात नहीं, कक्षाएँ चलती या नहीं तब कोई पुलिस / प्रशासन औचक निरिक्षण नहीं | कोई ऑडियो वीडियो सीसीटीवी मजिस्ट्रेट नहीं आता दो साल जब स्कूल कॉलेज की मशीन में एडमिशन रजिस्ट्रेशन फॉर्म भराई का त्यौहार चलता, बस परीक्षा एक पूर्णाहुति के तरह होता जिसके बाद आप एक अंधकारमय समाज में भटकने के लिए निकल जाते |
क्यों परीक्षा एक उत्सव नहीं ? बिना शिकन के क्यों नहीं रोजमर्रा के तरह छात्र सुबह उठ के परीक्षा देके आ जाये । कलात्मक रचनात्मक शिक्षा पद्धति से छात्र के अंदर से डर को मिटाना होगा । केवल साल में एक बार ही क्यों छात्रों की सुध लेती सरकार, परीक्षा पैटर्न, प्रैक्टिस एग्जाम, परीक्षा प्रारूप पर भी छात्रों और बोर्ड के बीच समन्वय क्यों नहीं । शिक्षक, बोर्ड, छात्र, अभिभावक के बीच सहभागिता बढ़े शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए ।
बिना डराए खुद अपने मूल्यांकन के लिए छात्र कदाचार मुक्त परीक्षा दे ऐसे माहौल के निर्माण के लिए क्यों नहीं सोचे हम ।
( कदाचार मुक्त परीक्षा में सहयोग करते हुए कार्यस्थल से कुछ विचार ) – #SK