कभी कभी छत की ऊपरी मंजिल पर जाता हूँ,
नितांत रात में निहारने आकाश को,
इस भागदौड़ में भूल जाता हूँ
प्रकृति के इस अजूबे को
बचपन से जो नहीं बदला अब तक
मैं ढूंढ लेता हूँ डमरू जैसे ओरियन को ।
जब मास्टर जी ने बताया था तुम्हारे बारे में,
बचपन में उस दिन बड़े खुश हो के
छत पर खोजा था ओरियन तुमको ।
पता नहीं आजकल कोई बच्चा छत पर
तुम्हें ढूँढते आता या नहीं ।
वक़्त की करवट में अब सभी
आकाश निहारना भूल से गये है ।
In Night & Pen #SK