प्रकृति की ओर ..

दूर क्षितिज के एक छोड़ पर
नदी किनारे शाम ढलती हुई
ऊपर चाँद की दस्तक है ऐसे
जैसे ठिठक गया है वक़्त
रात और दिन के बीच कहीं
इस अनवरत समय चक्र को
क्यों किसी ने छेड़ा ।
क्यों रुका वक़्त का पहिया
क्यों थम सी गयी रफ्तार जीवन की ।

शायद हमने अनदेखा किया होगा
कभी इन ढलते शाम और सुबहों को
इन खूबसूरत लम्हों को नहीं समझा होगा
लौटना ही होगा हमें प्रकृति की ओर ।

#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →