निर्वात पथ पर ….
निर्वात पथ पर अब संवाद नहीं ; व्यर्थ वक़्त का तिरस्कार नहीं ! शून्य सफर पर अब श्रृंगार ही क्या ? विचलित पथ का उपहास ही क्या ? मौन पड़े …
निर्वात पथ पर …. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
निर्वात पथ पर अब संवाद नहीं ; व्यर्थ वक़्त का तिरस्कार नहीं ! शून्य सफर पर अब श्रृंगार ही क्या ? विचलित पथ का उपहास ही क्या ? मौन पड़े …
निर्वात पथ पर …. Read Moreबहुत ही धुंध हो आई इस बरस ; कई रिश्ते धुँधले से हो आये ! बेरुखी भर आयी थी जस्बातों में ; इसको कभी ना वो समझ ही पाये ! …
बहुत ही धुंध हो आई इस बरस.. Read MoreYour little face ; Like a flower in the morning ; You might recognize me from afar ; When I see you, as hiding your head in the lap of …
Your Little Face …. Poem for Little One !! Read Moreबीते रात के ख्वाब को एक दिन, मंदिर के सीढियों पर देखा । माथे पर कुमकुम का टीका, थाल अरहुल थे सब सजे । बीते रात के ख्वाब को, सीढियों …
मंदिर के सीढियों पर … Read Moreबहुत दूर से ये रिश्ता, धुँधला धुँधला सा लगता, कभी कभी आकर वो इसे, इक नाम दे जातें है ! हाँ में रुकसत भी नहीं करता, ना ही थामता हूँ …
दूर से ये रिश्ता … Read Moreजिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …
अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read More