किसी आँगन की खामोशी …….

Summer__s_gone_II_by_EvasionK

किसी आँगन की खामोशी को देखा है,
ना क़दमों की आहट है कोई,
ना पायलों की रुनझुन ही बजते,
ना किलकारी ही गूँजती अब,
ना कोई रूठता ना रोता है !!

ऐसे सुने से परे है हर कोने,
जैसे घने जंगलों में शब्द खो जाते,
ना भूलती है माँ वो …
हर शाम दहलीज पर राह देखती !

पंछी भी हर सुबह बंद खिरकियों से लौट जाती,
हर सुबह खुली मिलती थी जो,
गलियाँ बाट जोहती हरदम,
हँसता हुआ कोई आता था इनमे !

अब भी आँगन उसका अपना ही है,
क्या कोई राहगीर अपने सफर पर निकल गया है ?

In thoughts of silent courtyard .. somewhere !!!

#Sujit …

Image Source : http://www.deviantart.com/art/Summer-s-gone-II-139621419

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →

2 Comments on “किसी आँगन की खामोशी …….”

  1. Main kahi v jau,kano me aawaz yahi aati hai…
    Laut k aa ja,ghar ki chaukhat tujhe bulati hai….

Comments are closed.