
किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ?
यहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …
किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ? Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
यहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …
किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ? Read Moreकिसी आँगन की खामोशी को देखा है, ना क़दमों की आहट है कोई, ना पायलों की रुनझुन ही बजते, ना किलकारी ही गूँजती अब, ना कोई रूठता ना रोता है …
किसी आँगन की खामोशी ……. Read More