किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ?

यहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …

किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ? Read More

किसी आँगन की खामोशी …….

किसी आँगन की खामोशी को देखा है, ना क़दमों की आहट है कोई, ना पायलों की रुनझुन ही बजते, ना किलकारी ही गूँजती अब, ना कोई रूठता ना रोता है …

किसी आँगन की खामोशी ……. Read More