किसी आँगन की खामोशी …….

किसी आँगन की खामोशी को देखा है, ना क़दमों की आहट है कोई, ना पायलों की रुनझुन ही बजते, ना किलकारी ही गूँजती अब, ना कोई रूठता ना रोता है …

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