एक मित्र ने शाम की एक तस्वीर पर कुछ लिखने को कहा, कवि अनेकों नजरिये से परिभाषित कर सकता किसी चीज को, तो शाम की व्याख्या कुछ इस तरह …
१. (कुछ शायरी के लहजे में )
एक मुक्कमल शाम की तलाश में,
कितने बार डूबा है ये सूरज !
२. (प्रेम और विरह के बीच शाम)
मुंडेरों पर रोज शाम को ढलते देखता,
तेरे जाने का अहसास रोज ढलता है इस शाम के साथ !
३. (शाम जिंदादिल जिन्दगी के नाम )
एक शाम का सब्र तो रखो ;
जिन्दगी के गम भी तो डूब ही जाते है !
४. (शाम रोजमर्रा के तरह )
रोज एक एक बोझ उतरता है कंधे से जिन्दगी,
मैं ढलते शाम की तरह तेरी किस्तें अदा करता हूँ !!
५. ( प्रकृति सौन्दर्य के नजरिये से )
धरती को सूरज छूने चली है,
ये शाम देखो किससे मिलने चली है !
#Poetry Written By Sujit