आओ मिलो सुबह से ….

Morning Poetry

आओ मिलो सुबह से कभी
हल्की सी रोशनी अंधेरों के बीच
और पंछियों की कलरव हो ।

ये सभी पेड़ पौधे आतुर से मिलेंगे
पूरी रात अकेले गुमसुम से थे खड़े ।

थक सी गयी है बादलों की टोली
पूरी रात ही बरसी है वो अंधेरों में ।

भीगी भागी सड़कों पर कुछ अनजान
कुछ अजनबी मिलेंगे मुस्कुराते हुए ।

रात की खामोशी को तोड़कर
पुराने दिन की उदासी को छोड़कर
कुछ गुनगुनाते हुए हौसलों को जगाते हुए
आओ मिलो उम्मीदों की सुबह से … ।।

Poetry By : Sujit Kumar

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →