आओ मिलो सुबह से कभी
हल्की सी रोशनी अंधेरों के बीच
और पंछियों की कलरव हो ।
ये सभी पेड़ पौधे आतुर से मिलेंगे
पूरी रात अकेले गुमसुम से थे खड़े ।
थक सी गयी है बादलों की टोली
पूरी रात ही बरसी है वो अंधेरों में ।
भीगी भागी सड़कों पर कुछ अनजान
कुछ अजनबी मिलेंगे मुस्कुराते हुए ।
रात की खामोशी को तोड़कर
पुराने दिन की उदासी को छोड़कर
कुछ गुनगुनाते हुए हौसलों को जगाते हुए
आओ मिलो उम्मीदों की सुबह से … ।।
Poetry By : Sujit Kumar