तुम आना फिर ..

तुम आना फिर ..
पहली दफा जैसे अजनबी के तरह,
पूछना सकुचाते हुए नाम और शहर ।

कुछ दिन करना बातें अनमने ढंग से,
सुबह शाम छोटे छोटे शब्दों में,
खत्म करना रोज की बातें ।

फिर कुछ दिन यूँ ही चुप हो जाना ,
जैसे कोई अनजाना सा मुसाफिर,
छूट जाता है राहों में ।

कभी उदासी में करना घंटो बातें,
और फिर भर देना अपनी आदत ,
जेहन में ।

डूब कर पढ़ना फिर नज्मों को मेरे,
पूछना किसके लिए लिखा ?
और बाँध देना झूठी तारीफों के पुल ।

वहम भरना मेरे शब्दों में कैद हो,
लेकिन रहना तुम आजाद पंछी बन,
और उड़ जाना किसी दिन ।

खामोशी के साथी से मिलने ,
तुम आना फिर … ।।

#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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