किसी भी लहजे में नहीं ….

DILUTE LOVE POETRY

DILUTE LOVE POETRYकिसी भी लहजे में तो नहीं कहा,
की तुम्हारी कई बातें अच्छी नहीं,
झुंझलाहट भरी थी चुप्पी तेरी,
प्रेम में डूब के कैसे कहता की,
कुछ द्वेष भी तो पलने लगा अंदर,
कैसे बदलने लगा था व्वयहार तेरा,
बदल के तुम वो नहीं रहे अब,
या बदल के अब कैसे हो गए,
यहाँ कौन निर्धारण करेगा,
मेरा या तुम्हारा कर्म हो कैसा,
कोई तो तय नहीं कर सकता समयसीमा,
कौन किससे कबतक जुड़ा रहे,
या छुड़ा के जा सकता है दामन भी,
कैसे उस असंतोष को जताया जाता,
की तुम सहज ही रहे इस बिखराव पर,
और मेरा मन वेदना से भरा था !

किसी भी लहजे में तो नहीं कहा,
कह ही नहीं पाता शायद सामने,
हृदय मैं उठते क्षोभ के लिए बस,
मैं कुछ कवितायेँ ही लिख सका !

#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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