लोकतंत्र के जंगल मे शेर की खाल पहन भेड़ियों का शासन है… यहाँ हर तरफ अराजकता ही अराजकता है मजदूर, छात्र, किसान, नौकरीपेशा, उद्यमी सब 70 साल से मूर्खों की मंडली की ओर आस टिकाये कब तक इस राजनैतिक दासता में रहेंगें, सड़क के गड्ढे से ले बैंक का ब्याज, आपके बच्चे के पेपर से लेके नौकरी के कागज़ तक, प्याज से लेके जहाज तक सब जगह एक सड़ान्ध है ….सिस्टम सिस्टम अब यहीं सिस्टम खोखली हँसी से दांत निपोरती बदसूरत सी नजर आती ।
ये क्रांति का झंडा बस अवसरवादिता है जो अपने अपने सियार को रंगीन बनाने में कभी नीला पीला लाल हो ढीली मुट्ठी से गला फाड़ नारे निकाल सकती और कुछ नहीं ।
बदलाव की शुरुवात खुद से, मन से, कर्म से नहीं तो ये पागल दुनिया ये जंगल ये रंगे हुए सियार सब लूट लेगें कुछ नहीं बचेगा ।
#SK