और तब …
और तब से आगे का किस्सा ? जहाँ रात को रोक के कल, हम और तुम कहीं चले गए थे, उस चाँद को गवाही बनाके, की फिर इसी वक़्त रोज, …
और तब … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
और तब से आगे का किस्सा ? जहाँ रात को रोक के कल, हम और तुम कहीं चले गए थे, उस चाँद को गवाही बनाके, की फिर इसी वक़्त रोज, …
और तब … Read Moreतुम मिलो मुझसे कहीं,मैं नजरे छुपाऊ,तुम पूछो कुछ तो,मैं अनजान हो जाऊ ! तुम मिलो जब,मैं कहूँ तुमसे,तुम कौन हो,तुम क्या लगते मेरे,और दूर चला जाऊ ! तुम मिलो जब,पुराना …
गुस्सा ….. Read Moreदेखते होंगे क्रिकेट पहले भी लोग, लेकिन साँसें रोक के, चाय की दुकान पर, मन में भगवान को याद करके, दोस्तों के कंधे पर हाथ रख के, पिताजी के साथ …
#ThankYouSachin Read Moreमेरे पास वजह नहीं कोई, तुम बेवजह ही आ जाओ, आके खोलो फिर पोटली, यादों की पोटली मैं भी खोलूँ, तुम रूठना निकालों उससे, मैं मनाने की कोई तरकीब, तुम …
तुम बेवजह ही आ जाओ … Read Moreआजकल का मौसम, दिन भर जलती हुई पछिया हवा, निर्जन सड़के, चिलचिलाती धुप, बेजार मन ! एक कविता इसी संदर्भ में … सड़कों पर रेगिस्तान उतर आया है, पछिया बयार …
निर्जन मन … Read Moreमेरे शहर के ऊपर, रोज कोई कैनवास लगाता है, रोज सोचता हूँ देखूँगा उसकी सूरत, वो रोज कुछ न कुछ बना के चुपके से चला जाता, बड़ी बड़ी रंगों की …
आसमान और कैनवास Read More