गुस्सा …..

gussa-poemतुम मिलो मुझसे कहीं,
मैं नजरे छुपाऊ,
तुम पूछो कुछ तो,
मैं अनजान हो जाऊ !

तुम मिलो जब,
मैं कहूँ तुमसे,
तुम कौन हो,
तुम क्या लगते मेरे,
और दूर चला जाऊ !

तुम मिलो जब,
पुराना बचा हुआ,
गुस्सा दिखलाऊं,
तुम अब मत मनाओ,
न मैं फिर मान जाऊ !

तुम कभी मत आओ,
ये गुस्सा है मेरा,
घुटने तो तपने दो,
संवेदना के गुनाह में,
हरपल तपता रह जाऊ !

#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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4 Comments on “गुस्सा …..”

  1. सर आपकी कविता बहोत अच्छी लगी, कई लोग इस गुस्से की वजह से अपना सब कुछ गवा चुके हैं.

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