तुम मिलो मुझसे कहीं,
मैं नजरे छुपाऊ,
तुम पूछो कुछ तो,
मैं अनजान हो जाऊ !
तुम मिलो जब,
मैं कहूँ तुमसे,
तुम कौन हो,
तुम क्या लगते मेरे,
और दूर चला जाऊ !
तुम मिलो जब,
पुराना बचा हुआ,
गुस्सा दिखलाऊं,
तुम अब मत मनाओ,
न मैं फिर मान जाऊ !
तुम कभी मत आओ,
ये गुस्सा है मेरा,
घुटने तो तपने दो,
संवेदना के गुनाह में,
हरपल तपता रह जाऊ !
#SK
4 thoughts on “गुस्सा …..”
sonu sharma
(June 8, 2016 - 2:15 pm)nice line yaar
Sujit Kumar Lucky
(June 9, 2016 - 4:26 pm)Thanks
lifestylehindi
(June 11, 2016 - 1:58 pm)सर आपकी कविता बहोत अच्छी लगी, कई लोग इस गुस्से की वजह से अपना सब कुछ गवा चुके हैं.
Sujit Kumar Lucky
(June 12, 2016 - 7:29 pm)पसंद करने के लिए शुक्रिया !!
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