तुम मिलो मुझसे कहीं,
मैं नजरे छुपाऊ,
तुम पूछो कुछ तो,
मैं अनजान हो जाऊ !
तुम मिलो जब,
मैं कहूँ तुमसे,
तुम कौन हो,
तुम क्या लगते मेरे,
और दूर चला जाऊ !
तुम मिलो जब,
पुराना बचा हुआ,
गुस्सा दिखलाऊं,
तुम अब मत मनाओ,
न मैं फिर मान जाऊ !
तुम कभी मत आओ,
ये गुस्सा है मेरा,
घुटने तो तपने दो,
संवेदना के गुनाह में,
हरपल तपता रह जाऊ !
nice line yaar
Thanks
सर आपकी कविता बहोत अच्छी लगी, कई लोग इस गुस्से की वजह से अपना सब कुछ गवा चुके हैं.
पसंद करने के लिए शुक्रिया !!