मेरे पास वजह नहीं कोई,
तुम बेवजह ही आ जाओ,
आके खोलो फिर पोटली,
यादों की पोटली मैं भी खोलूँ,
तुम रूठना निकालों उससे,
मैं मनाने की कोई तरकीब,
तुम उदासी का चेहरा निकालों,
मैं हँसी वाला कोई किस्सा ।
मेरे पास वजह नहीं कोई,
तुम बेवजह ही आ जाओ,
तुम जो छोड़ के गए थे ख़ामोशी,
आके इसे फिर से बोलना सीखा दो,
लगता भूल गया है ये कुछ भी कहना,
शायद तुमसे कुछ कह भी ले,
मुझसे मुँह फिरा के ही बैठा रहता ।
Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज
6 thoughts on “तुम बेवजह ही आ जाओ …”
gyanipandit
(April 30, 2016 - 12:58 pm)बहोत ही प्यारी रचना ये रचना तो दिल को छु गई
Sujit Kumar Lucky
(April 30, 2016 - 8:32 pm)शुक्रिया !!
Prerna Kumari
(July 5, 2016 - 3:36 am)wonderful poem
Prerna Kumari
(July 5, 2016 - 3:36 am)very nice
Sujit Kumar Lucky
(July 5, 2016 - 8:05 pm)thanks
Sujit Kumar Lucky
(July 5, 2016 - 8:05 pm)thankyou
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