किसी आँगन की खामोशी …….

किसी आँगन की खामोशी को देखा है, ना क़दमों की आहट है कोई, ना पायलों की रुनझुन ही बजते, ना किलकारी ही गूँजती अब, ना कोई रूठता ना रोता है …

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कुछ कागजों के बीच – The Memory In My Old Wallet

पुराने बटुए में कुछ कागजों के बीच, कुछ महफूज़ रखा है हमने यादों को ! अनेकों आधे अधूरे लम्हों को, थोरा थोरा जिक्र करके रखा है हमने ! अनेकों छोटे …

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हाथों से फिसल से गये …

किसी रोज की दूसरी बारिश थी, बुँदे इस तरह कांचों से फिसल गये, जैसे धुल गये अवसाद कितने पुराने, लिपटते रहे बूंदें कांचों से कितने भी, रिश्ते कच्चे थे हाथों …

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