किस्तों किस्तों में सुबह..
किस्तों किस्तों में होती शाम !
किस मुफलिशी के मारे..
हो गये देखो गुमनाम !
इस सफर को क्या नाम दोगे..
बस राहों को दे दो कुछ नाम !
साथ टूटे या हाथ छुटे..
होती नहीं हसरतें नाकाम !
बात हमारी भी होती होगी..
कुछ किस्सों में होगा ही नाम !
गिर गिर के सम्भलते है..
चुन ही लिया है जब अपना,
इक मंजिल इक मकाम !
Transcript
kisto kistome me subah ..
kiston kiston me hoti sham !
kis muflishi ke maare..
ho gye dekho gumnam !
safar ko kya naam doge..
bs rahon ko de do kuch naam !
sath chute ya hath chute..
hoti nhi hasrate nakam !
baat hmari bhi hoti hogi..
kuch kisson me hoga hi nam !
gir gir ke khare hote hai,
chun hi liye hai jab apna,
ek manjil aur ek mukam..!
#$K… in Night And Pen