इस शाम में कुछ उदासियाँ अब
ढलते सूरज के साथ और चढ़ गयी
बढ़ गयी है भींगे आँखों में नमी
और अँधेरों में खो गयी सुलह के सब रास्ते
बंद किवाड़ की चौखट पर सर पटक कर
ढह गए हौसले सब मनाने के
उसकी जिद जीत जाती हरदम
और ख़ामोशी के खेमें वाले हार ही जाते हर दफा ।
मैं खामोशी के खेमें में गमजदा हूँ
अब जीत कर तुम क्यों मायूस बैठे हो ?
#SK