अब मैं लौट के नहीं आऊंगा ;
दृढ़ हूँ इस बार बढ़ता ही जाऊँगा ।।
अनेकों बार हुए उपेक्षित मन को ;
अब बहुत ही दुर कहीं ले जाऊँगा ।।
गत वर्षों का कुछ गीत अधूरा ;
अब उसको ना फिर दोहराऊँगा।।
साथ संग कुछ बात रही अधूरी ;
सबसे परे जीवन कहीं बिताऊँगा ।।
बन अनजाने रह किसी नगर पर ;
भले हाल कभी ना सुन पाऊँगा ।।
जब कभी दिखे किसी कहीं डगर पर ;
फिर अपनी नजरें नहीं झुकाऊँगा ।।
होते साथी तो व्यथा कथा संवाद भी होता ;
अनजानों से क्या क्या में कह पाऊँगा ।।
पथ भी व्याकुल मिलने किसी पथिक को ;
अगणित कदम बढ़ाऊँगा मंजिल नई बनाऊँगा ।।
~ Sujit
गत वर्षों का कुछ गीत अधूरा ;
अब उसको ना फिर दोहराऊँगा।।
साथ संग कुछ बात रही अधूरी ;
सबसे परे जीवन कहीं बिताऊँगा ।
प्रेरणादायक शब्द
shukriya ..