
मंजिल नई बनाऊँगा !
अब मैं लौट के नहीं आऊंगा ; दृढ़ हूँ इस बार बढ़ता ही जाऊँगा ।। अनेकों बार हुए उपेक्षित मन को ; अब बहुत ही दुर कहीं ले जाऊँगा ।। …
मंजिल नई बनाऊँगा ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
अब मैं लौट के नहीं आऊंगा ; दृढ़ हूँ इस बार बढ़ता ही जाऊँगा ।। अनेकों बार हुए उपेक्षित मन को ; अब बहुत ही दुर कहीं ले जाऊँगा ।। …
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