नव वर्ष जैसे बारह खानों में फिर सजेगी बिसातें,
हर दिन की कहानी और किरदारों का रंगमंच !
कुछ कोसते हुए चालें चाली गयी होंगी,
कुछ दंभ टूटा होगा किसी किरदारों का !
कुछ मोहरों ने खींचे होंगे पांव पीछे ;
कुछ मोहरों ने दिखाया होगा जज्बा !
कुछ अफ़सोस हुआ होगा अपनी बाजी का !
तो कहीं अभिमान होगा अपनी राहों का !
ना शिखर पर पर पहुँचा अभी;
कईं चालें और बाजी बची है अभी !
Happy New Year 2014 – नव वर्ष की शुभकामनाएँ – सुजीत
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